मुरैना - साक्षी फैक्ट्री में मजदूरों की मौत हत्या है, शासन प्रशासन फैक्ट्री प्रबंधन को बचा रहा है: अतुल प्रधान


- रेस्ट हाउस में हुई जनसभा और फिर किया कलेक्ट्रेट पर प्रदर्शन

मुरैना। 6 दिन पूर्व नूराबाद थाना क्षेत्र के धनेला गांव में संचालित साक्षी फूड प्राइवेट लिमिटेड फैक्ट्री में टैंक साफ करते समय मजदूरों की हुई मौत का मामला अब गर्मा गया है और सियासी रूप ले रहा है। मंगलवार को रेस्ट हाउस पर सर्व समाज के करीब 6-7 सैकड़ा लोग एकत्रित हुए और उक्त मौतो को लेकर को लेकर सभी ने अपनी अपनी बात कही। उत्तर प्रदेश के विधायक अतुल प्रधान ने इस हत्या बताते हुए शासन एवं प्रशासन पर फैक्ट्री मालिक को बचाने का आरोप लगाया है।
रेस्ट हाउस पर आयोजित महापंचायत में गुर्जर, कुशवाहा, यादव एवं अन्य समाज के लोग भारी संख्या में एकत्रित हुए तथा यहां पर सभी नेताओं ने मृतक युवकों के परिवारों के प्रति संवेदना व्यक्त करते हुए उन्हें न्याय दिलाने तथा न्याय न मिलने पर सड़कों पर जाम एवं रेल पटरी उखाड़ने तक की बात कह डाली। रेस्ट हाउस पर लगभग 2 घंटे से अधिक चली सभा के बाद सैकड़ो लोग एकत्रित होकर जुलूस की शक्ल में कलेक्ट्रेट पर पहुंचे और वहां प्रदर्शन करते हुए कलेक्ट्रेट का घेराव किया तथा वहां पर भी शासन प्रशासन एवं पुलिस कार्यवाही पर असंतोष जताया। इस अवसर पर उत्तर प्रदेश के विधायक अतुल प्रधान ने मीडिया को बताया कि हम चाहते हैं कि मृतक पांचो युवकों के परिवारों को न्याय मिले और युवकों की मौत को उन्होंने हत्या बताया है तथा कहा है कि शासन प्रशासन एवं पुलिस फैक्ट्री प्रबंधन को बचाना चाहता है। उन्होंने मांग की है कि इस पूरे घटनाक्रम में शामिल दोषी लोगों पर कार्रवाई की जाए। एफआईआर मैं किन-किन  लोगों के नाम है, अभी तक नहीं बताया गया है तथा मामले में पुलिस कर्मचारी को फरियादी क्यों बनाया गया है। उन्होंने मांग की है कि प्रत्येक मृतक युवक के परिवार को 50-50 लख रुपए की सहायता एवं एक-एक व्यक्ति को सरकारी नौकरी दी जाए तथा थाना अध्यक्ष को निलंबित किया जाए। उन्होंने उम्मीद जताई कि चुनाव नजदीक है, मुख्यमंत्री जल्द ही इसकी घोषणा करें, अन्यथा 8 सितंबर को मुख्यमंत्री की जो यात्रा निकल रही है वहां कुछ भी हो सकता है।
सुमावली विधायक अजब सिंह कुशवाह ने कहा कि पांचो मजदूर युवकों की षड्यंत्र के तहत हत्या करवाई गई है। घटना के बाद फैक्ट्री मालिक को उसके परिजनों से चर्चा करनी चाहिए थी, लेकिन पुलिस ने माहौल ऐसा निर्मित कर दिया कि कोई चर्चा नहीं हो सकी। उन्होंने पुलिस प्रशासन पर झूठ बोलने का आरोप लगाया और कहा कि मजदूरों को तत्काल जिला अस्पताल ले जाया जाता तो वह बच सकते थे, लेकिन 3 घंटे तक वहां पड़े रहे तथा उनकी मौत हो गई। पुलिस ने यह भी झूठ बोला कि वह जिंदा है और इस बहाने अस्पताल ले गए। उन्होंने कहा कि पांच बच्चों की मौत की कीमत प्रशासन एवं पुलिस द्वारा एक एक लाख रुपए आंकी गई है, हम 10-10 लाख देंगे, क्या वह अपने बच्चों के साथ ऐसा होने देंगे। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री एक-एक करोड़ बांट रहे हैं, क्या इन युवाओं के परिवार को 50-50 लाख रुपए की सहायता सहायता नहीं दे सकते।




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