हमीदा बनो ने सभी मर्द पहलवानों को चैलेंज किया था की अगर किसी ने उन्हें कुश्ती में शिकस्त दे दिया तो वो उससे शादी कर लेंगी। बड़ौदा के बाबा पहलवान ने उनके चैलेंज को ये कह कर एक्सेप्ट किया की अगर वो हमीदा बनो से हार गए तो वो कुश्ती लड़ना छोड़ देंगे लेकिन शायद उन्हें हमीदा बानो की ताकत का अंदाजा ही नहीं था जिसने सिर्फ 1 मिनट 24 सेकंड में बाबा पहलवान का आखिरी मैच बना दिया था। उन्होंने अपने कैरियर में 320 मैच जीते जिसके बाद पूरी दुनिया में उनकी मकबुलियत आम हो गई। 1954 में मुंबई में हमीदा बानो ने रूस की एक नामी महिला पहलवान को 1 मिनट से कम समय में हरा दिया था। लेकिन आज हैरानी की बात ये है की किसी किताब में इनका जिक्र तक नहीं है, ऐसे में जरूरत है की हमीदा बानो को याद रखा जाए और उनकी इस कहानी को हर हिंदुस्तानी तक पहुंचाया जाए।
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