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भारत सिंह कुशवाहा ने भाजपा का भरोसा कायम रखा और सीट जीतकर भाजपा की झोली में डाल दी। कांग्रेस विधायक प्रवीण पाठक को उम्मीदवार बनाया था, पर उनके हिस्से हार आई।
ग्वालियर में तीसरे चरण में सात मई को मतदान हुआ था। इस बार 62.13 प्रतिशत वोटिंग हुई, जो 2019 के 59.78 प्रतिशत के मुकाबले करीब ढाई प्रतिशत अधिक है। 2014 में इस सीट पर 52.73 प्रतिशत वोटिंग ही हुई थी। ग्वालियर में बीते पांच चुनाव से भाजपा ही जीत रही है। 2004, 2009, 2014, 2019 और अब 2024 में भाजपा को जीत मिली है। 2023 के विधानसभा चुनाव में इस लोकसभा सीट की आठ में से चार-चार सीटें भाजपा और कांग्रेस की झोली में गिरी थीं।
लोकसभा चुनाव 2024 के प्रचार में भाजपा और कांग्रेस ने पूरी ताकत झोंकी। हालांकि, कांग्रेस प्रत्याशी को प्रचार के लिए कम समय मिला। प्रचार की कमान प्रदेश स्तरीय नेताओं के हाथ में ही रही। ग्रामीण क्षेत्रों में मजबूत रही कांग्रेस ने इस बार फोकस शहर और शहर में मजबूत रहने वाली भाजपा ने ग्रामीण पर ध्यान लगाया।
सिंधिया घराने के ईर्द-गिर्द रही है राजनीति
ग्वालियर की राजनीति पर महल यानी सिंधिया राजघराने का बड़ा प्रभाव रहा है। शिवपुरी जिले का कुछ हिस्सा भी ग्वालियर लोकसभा सीट में आता है। माधवराव सिंधिया खुद भी ग्वालियर से सांसद रहे हैं। उनकी बहन और केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया की बुआ यशोधरा राजे भी यहां से सांसद रही हैं। माधवराव सिंधिया खुद 1984 से 1998 तक इस सीट पर सांसद रहे हैं। 2007 के उपचुनाव में यशोधरा राजे सिंधिया ने चुनाव लड़ा और 2009 के चुनाव में भी जीत हासिल की। 2014 में नरेंद्र सिंह तोमर और 2019 में विवेक नारायण शेजवालकर ने भाजपा की झोली में यह सीट डाली थी। अब भारत सिंह कुशवाह भी भाजपा की उम्मीद पर खरे उतरे हैं।
किसे कितने वोट
ग्वालियर सीट पर भाजपा प्रत्याशी भारत सिंह कुशवाह को 6 लाख 68 हजार से ज्यादा वोट मिले हैं। वहीं कांग्रेस प्रत्याशी प्रवीण पाठक को पांच लाख 99 हजार वोट मिले हैं। बसपा यहां तीसरे नंबर पर रही। बसपा के कल्याण सिंह कंसाना ने 33 हजार 308 वोट पाए। वहीं नोटा में तीन हजार 309 वोट पड़े हैं।
लोकसभा चुनाव 2024 के प्रचार में भाजपा और कांग्रेस ने पूरी ताकत झोंकी। हालांकि, कांग्रेस प्रत्याशी को प्रचार के लिए कम समय मिला। प्रचार की कमान प्रदेश स्तरीय नेताओं के हाथ में ही रही। ग्रामीण क्षेत्रों में मजबूत रही कांग्रेस ने इस बार फोकस शहर और शहर में मजबूत रहने वाली भाजपा ने ग्रामीण पर ध्यान लगाया।
सिंधिया घराने के ईर्द-गिर्द रही है राजनीति
ग्वालियर की राजनीति पर महल यानी सिंधिया राजघराने का बड़ा प्रभाव रहा है। शिवपुरी जिले का कुछ हिस्सा भी ग्वालियर लोकसभा सीट में आता है। माधवराव सिंधिया खुद भी ग्वालियर से सांसद रहे हैं। उनकी बहन और केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया की बुआ यशोधरा राजे भी यहां से सांसद रही हैं। माधवराव सिंधिया खुद 1984 से 1998 तक इस सीट पर सांसद रहे हैं। 2007 के उपचुनाव में यशोधरा राजे सिंधिया ने चुनाव लड़ा और 2009 के चुनाव में भी जीत हासिल की। 2014 में नरेंद्र सिंह तोमर और 2019 में विवेक नारायण शेजवालकर ने भाजपा की झोली में यह सीट डाली थी। अब भारत सिंह कुशवाह भी भाजपा की उम्मीद पर खरे उतरे हैं।
किसे कितने वोट
ग्वालियर सीट पर भाजपा प्रत्याशी भारत सिंह कुशवाह को 6 लाख 68 हजार से ज्यादा वोट मिले हैं। वहीं कांग्रेस प्रत्याशी प्रवीण पाठक को पांच लाख 99 हजार वोट मिले हैं। बसपा यहां तीसरे नंबर पर रही। बसपा के कल्याण सिंह कंसाना ने 33 हजार 308 वोट पाए। वहीं नोटा में तीन हजार 309 वोट पड़े हैं।
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